विशेष संवाददाता द्वारा
रांचीः झारखंड उच्च न्यायालय में शुक्रवार को सीएम हेमंत सोरेन की याचिका पर सुनवाई हुई। हेमंत सोरेन की ओर से ईडी की ओर से जारी समन को अदालत में चुनौती दी गई थी। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सीएम हेमंत सोरेन की याचिका खारिज कर दी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखा। वहीं ईडी ने भी अपनी दलील पेश की। हेमंत सोरेन और ईडी का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सीएम हेमंत सोरेन की याचिका खारिज कर दी है। चार समन जारी होने के बाद याचिका दाखिल की गई थी। इसे कोर्ट ने ग्राउंड बनाया है।
झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने बताया कि सीएम हेमंत सोरेन की याचिका पर चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने कहा कि जिन चार समन पर हेमंत सोरेन को ईडी में उपस्थित था, वह तारीख खत्म हो चुकी है, इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। हाई कोर्ट ने पीएमएलए एक्ट की धारा 50 और 63 के आधार पर दाखिल याचिका को वैलिड नहीं माना। खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के मनोहरलाल केस के जजमेंट का हवाला दिया।
सीएम हेमंत सोरेन की ओर से 23 सितंबर को झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। 23 सितंबर को ही चौथे समन में हेमंत सोरेन को ईडी ऑफिस जाना था। इससे पहले ईडी ने 14 अगस्त को पहली बार हेमंत सोरेन को समन भेज कर बुलाया था। उसके बाद 24 अगस्त को दूसरी बार बुलाया गया। 9 सितंबर को तीसरी बार और 23 सितंबर को चौथी बार बुलाया गया था। इसके बाद 4 अक्टूबर को पांचवीं बार ईडी ने बुलाया था।
आईपीसी के तहत दर्ज किसी मामले की जांच के दौरान जांच एजेंसी के समक्ष दिए गए बयान की मान्यता कोर्ट में नहीं है, लेकिन पीएमएलए एक्ट की धारा 50 के तहत जांच के दौरान एजेंसी के समक्ष दिए गए बयान की कोर्ट में मान्यता है। साथ ही ईडी को धारा 63 के तहत बयान दर्ज कराने के दौरान किसी को गिरफ्तार करने का भी अधिकार प्राप्त है